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Monday, March 15, 2010

तुम्हारी याद में


9 comments:

  1. रेखा जी दुआ करते है की जल्दी ही ईश्वर आपकी और आपके बेटे की दुआ ज़रूर सुन ले. गौरया एक घरेलू पक्षी है उसको मनुष्यों के साथ रहना पसंद है. उसका खाना पीना भी हमारे साथ ही रहता था छत की धन्नियो, आगन की दीवार बिलों में अपना घोसला बनती थी . पर अब हमने उसको घर से निकाल दिया क्योकि हमे वातानुकूलित घर चाहिए जो कहीं से भी खुला न हो . तो अब गौरया अपना घर पेड़ों या छतों पर तो नही बनायेंगी. अगर हमको उन्हें वापस बुलाना है तो हमे उन्हें अपने घर में जगह देनी होगी. गाँव में आज भी ठेरों गौरया पाई जाती है. क्योकि आज भी वहां के लोग प्रकृति से जुड़े हुए है.

    now Every day is being celebrated as the 'Day'. It is better that we should try to save nature.

    jyoti verma

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  2. kal isi vishay par mera lekh science bloggers' association par padhen !!!

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  3. आपकी यह पोस्‍ट 20 मार्च 2010 के दैनिक राष्‍ट्रीय सहारा के संपादकीय पेज 10 पर ब्‍लॉग बोला स्‍तंभ में तुम फिर कब आओगी शीर्षक से प्रकाशित हुई है, बधाई।

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  4. just chanced upon. nice. hope you are doing well.

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  5. सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली
    भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज
    बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति
    हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद
    धन्यवाद....साधुवाद..साधुवाद
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

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  6. रेखा जी,
    ‘आपकी दुनिया’ में आकर अच्छा लगा!

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  7. आपके विचार और अभिव्यक्ति बहुत सुंदर है।

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