कुछ पिघलती कुछ सर्द अभिव्यक्तियाँ
वाकई पैसे से आज़ादी नही मिलती, आज़ादी तो खयालातों में होनी चाहिए और और उन्हे यथार्थ में बदलने की कूबत, फ़िर पैसा तो गौड़ हो जायेगा
वाकई पैसे से आज़ादी नही मिलती, आज़ादी तो खयालातों में होनी चाहिए और और उन्हे यथार्थ में बदलने की कूबत, फ़िर पैसा तो गौड़ हो जायेगा
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